#Lucknow | अगले दो से तीन महीने के भीतर कम से कम 15 लाख बेरोजगारों को रोजगार और नौकरी देगी यूपी सरकार

के कम से कम आठ विभागों को चुना गया है। रोजगार के लिए रोजगार मेला, लोन मेला लगेगा। बड़े पैमाने पर रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। यह सब काम अगले तीन से छह माह के भीतर शुरू हो जाएंगे। ताकि बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हो सके और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सके।
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क्या करना होगा बेरोजगारों को :- आर्थिक सुस्ती वैश्विक मंदी में अब वही लोग कमाई कर पाएंगे जो खुद को हुनरमंद बनाएंगे। सिर्फ डिग्री से अब काम नहीं चलेगा। काम आना भी चाहिए। क्योंकि कोई भी कंपनी अब किसी ऐसे को नौकरी पर नहीं रखेगी जिसे काम सिखाना पड़े। इसीलिए सरकार मुख्यमंत्री शिक्षुता (अप्रेन्टिसशिप) प्रोत्साहन योजना के तहत बड़े पैमाने पर युवाओं को उद्योगों में प्रशिक्षण के साथ-साथ 2500 रुपए का मासिक प्रशिक्षण भत्ता भी देगी। एक वर्ष के भीतर एक लाख युवाओं को यह सुविधा मिलेगी। बाद में इस योजना में दो लाख और युवाओं को जोड़ा जाएगा। युवाओं को स्वालंबी बनाने के लिए युवा हब मदद करेगा।
इन विभागों को रोजगार की संभावनाएं :- लॉकडाउन खुलते ही प्रदेश के एमएसएमई यानी लघु और सूक्ष्म उद्योग विभाग, ओडीओपी यानी वन डिस्ट्रिस्ट वन प्रोडक्ट, एनआरएलएम, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना, कौशल विकास मिशन, खादी ग्रामोद्योग तथा मनरेगा के माध्यम से रोजगार सृजन किए जाएंगे। सबसे ज्यादा काम एमएसएमई और ओडीओपी के तहत मिलेगा। श्रमिकों और कामगारों को प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए स्कूल यूनिफार्म सिलने, स्वेटर बनाने जैसे कामों की ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें मशीनें भी सरकार देगी।
महिलाओं को भी मिलेगा रोजगार :- महिला स्वयंसेवी समूहों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। खाद्य और फल प्रसंस्करण विभाग में फल और जेली आदि बनाने का प्रशिक्षण देकर बड़े पैमाने पर रोजगार दिया जाएगा। इसी तरह मास्क बनाने का काम, खादी के क्षेत्र में सोलर चरखों का संचालन, सोलर लूम का संचालन आदि का प्रशिक्षण भी सरकार देगी। उत्कृष्ट कम्बलों के निर्माण तथा नवीन स्वरोजगार को भी इससे जोड़ा जाएगा। भैस और गाय पालन के लिए स्वंयसेवी संस्थाओं को अनुदान मिलेगा।
गांवों में ही रोजगार देने पर फोकस :- आर्थिक मंदी से गांव ही बचाएगा। सरकार का भी मानना है कि अन्य प्रदेशों में कमाने जाने वालों को यदि गांव में ही 15 से 20 हजार का काम मिल जाए तो वे बाहर नौकरी करने नहीं जाएंगे। इसलिए सरकार ग्रामीण स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए भी ढेर सारे रोजगार देगी। गांवों में दुग्ध समितियों का गठन कर डेरी उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रामीण प्रोडक्ट को डिजाइनिंग और ब्राडिंग के जरिए प्रतिस्पद्र्धा में लाने का काम होगा। फूलों की खेती, इत्र, धूपबत्ती, अगरबत्ती आदि का निर्माण करके भी कमाया जा सकता है। इन क्षेत्रों में भी काम मिलेगा।
प्रशिक्षण फिर देंगे रोजगार :- विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना और कौशल विकास मिशन के तहत विभिन्न ट्रेडों में व्यापक स्तर पर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके। मोबाइल रिपेयरिंग, घरेलू सामान रिपेयरिंग जैसे कामों को वरीयता दी जाएगी। पॉलीटेक्निक, साइंस लैब्स, आईटीआई आदि से प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को इस काम में वरीयता मिलेगी। लॉक डाउन के बाद युवाओं को लोन मेला और रोजगार मेला लगाकर रोजगार के साधन अवसर कराए जाएंगे। इसके लिए बैंकों से सरकार खुद समन्वय बनाएगी।
रोजगार पाने की यह होंगी शर्तें :-
-किसी भी काम को करने के लिए तैयार रहना होगा। काम सीखने के लिए ट्रेनिंग सेंटर में प्राथमिकता के आधार पर पंजीयन करवाना होगा।
-पहले उन लोगों को नौकरी और रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी जो अन्य राज्यों में कुछ काम कर रहे थे लेकिन, अब उनकी नौकरी चली गयी है।
-रोजगार पाने के लिए सम्बन्धित राज्य से काम करने का ब्योरा देना होगा। यदि बाहर के प्रदेश में उनका मजदूर के रूप में विवरण दर्ज होगा तो उन्हें काम मिलने में सहूलियत होगी।
-बाहरी राज्यों से आए मजदूरों को 14 दिन की संस्थागत क्वारंटाइन अवधि पूरी करनी होगी। इस अवधि में उन्हें एक हजार रुपए भरण-पोषण भत्ते के रूप में मिलेंगे।